• Home  
  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025, वोट डालने के लिए जरूरी दस्तावेज बने लोगों की सबसे बड़ी मुश्किल
- देश

बिहार विधानसभा चुनाव 2025, वोट डालने के लिए जरूरी दस्तावेज बने लोगों की सबसे बड़ी मुश्किल

Bihar Vidha Sabha Election: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन इन चुनावों में भागीदारी से ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि लोग वोट कैसे डालेंगे। चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (वेरिफिकेशन) के दौरान 11 में से कोई एक दस्तावेज अनिवार्य कर […]

Bihar Vidha Sabha Election: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन इन चुनावों में भागीदारी से ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि लोग वोट कैसे डालेंगे। चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (वेरिफिकेशन) के दौरान 11 में से कोई एक दस्तावेज अनिवार्य कर दिया गया है। आयोग ने 25 जुलाई 2025 तक यह प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। लेकिन राज्य के ग्रामीण और गरीब तबकों के लिए इन दस्तावेजों को जुटाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।

वोटर लिस्ट से बाहर 2.93 करोड़ लोग

चुनाव आयोग के अनुसार, जिन लोगों का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं था, वे अगर नया नामांकन कराना चाहते हैं तो उन्हें यह प्रमाण देना होगा कि वे भारतीय नागरिक हैं। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में ऐसे करीब 2.93 करोड़ लोग हैं—यानी एक तिहाई से अधिक आबादी।

विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कवायद गरीब, दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों को वोटिंग प्रक्रिया से बाहर करने का तरीका है। जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि Representation of the People Act, 1950 के तहत यह जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (EROs) की होती है, आयोग केवल दिशा-निर्देश देता है।

ये हैं वे 11 दस्तावेज जिनमें से एक अनिवार्य है-

1. सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी का पहचान पत्र/पेंशन भुगतान आदेश

बिहार जाति सर्वे 2022 के अनुसार, राज्य में केवल 20.49 लाख लोग ही सरकारी सेवा में हैं, यानी सिर्फ 1.57% आबादी।

2. 1987 से पहले जारी सरकारी प्रमाणपत्र

इसमें बैंक, एलआईसी, डाकघर आदि से जारी पहचान पत्र भी शामिल हैं। लेकिन इस तरह के प्रमाण पत्रों का कोई केंद्रीकृत रिकॉर्ड नहीं है।

3. जन्म प्रमाण पत्र

बिहार में जन्म प्रमाण पत्र बनवाना अब भी एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। साल 2000 में केवल 1.19 लाख और 2007 में 7.13 लाख जन्म रजिस्ट्रेशन ही हो सके थे।

4. पासपोर्ट

बिहार में केवल 27.44 लाख वैध पासपोर्ट धारक हैं—राज्य की कुल आबादी का महज 2%।

5. मैट्रिक/शैक्षणिक प्रमाणपत्र

बिहार में केवल 14.71% लोग 10वीं पास हैं। शिक्षा की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में और भी खराब है।

6. स्थायी निवास प्रमाण पत्र

डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कई दस्तावेजों की जरूरत होती है, साथ ही यह प्रक्रिया 15 दिन या उससे अधिक समय ले सकती है।

7. वन अधिकार प्रमाण पत्र

Forest Rights Act के तहत अब तक सिर्फ 191 दावे ही स्वीकृत हुए हैं, जबकि 4,696 आवेदन हुए थे।

8. जाति प्रमाण पत्र (SC/ST/OBC)

हालांकि बड़ी संख्या में लोग इन वर्गों से आते हैं, लेकिन प्रमाणपत्र की पहुंच अब भी सीमित है।

9. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC)

यह दस्तावेज बिहार में लागू ही नहीं है, इसलिए इसकी प्रासंगिकता सवालों के घेरे में है।

10. परिवार रजिस्टर

इसमें नाम जोड़ने के लिए आधार, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र आदि की जरूरत होती है। प्रक्रिया लंबी और जटिल मानी जाती है।
11. सरकारी जमीन/मकान का आवंटन प्रमाण पत्र

बिहार में 65.58% ग्रामीण परिवारों के पास अपनी जमीन ही नहीं है, ऐसे में यह विकल्प भी अधिकांश के लिए उपलब्ध नहीं है।

लोगों की हकीकत: “हमारे पास केवल आधार कार्ड है…

बिहार के गांवों से रिपोर्ट आ रही है कि अधिकांश लोग सिर्फ आधार कार्ड रखते हैं, लेकिन आयोग के नए नियमों के तहत आधार को पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। एक ग्रामीण महिला का कहना है, “मेरे पास सिर्फ आधार है, न बर्थ सर्टिफिकेट है, न स्कूल सर्टिफिकेट। क्या मैं वोट नहीं दे पाऊंगी?

निष्कर्ष: लोकतंत्र में भागीदारी या बाहर करने की तैयारी?

साफ है कि जिन 11 दस्तावेजों में से एक भी दस्तावेज नहीं होने पर किसी व्यक्ति को वोट देने से वंचित किया जा सकता है। जबकि बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति ऐसी है कि बड़ी संख्या में लोगों के पास यह दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।
विपक्ष इस पूरे मसले को राजनीतिक साजिश बता रहा है, जबकि चुनाव आयोग इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा मानता है। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि यदि दस्तावेज जुटाना ही लोकतंत्र में भागीदारी की शर्त बन जाए, तो “सबको वोट का अधिकार” सिर्फ एक नारा बनकर रह जाएगा।

अगर आयोग को पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी है तो उसे जमीनी हकीकत को समझते हुए प्रक्रिया में लचीलापन लाना होगा। नहीं तो यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया लोकतंत्र की मूल आत्मा को ही आहत कर देगी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उत्तम भारत में, हम सत्य की शक्ति, समुदाय के मूल्य और सूचित नागरिकों के महत्व में विश्वास करते हैं। 2011 में स्थापित, हमने अपने पाठकों को विश्वसनीय समाचार, व्यावहारिक विश्लेषण और महत्वपूर्ण कहानियाँ प्रदान करने पर गर्व किया है।

Email Us: uttambharat@gmail.com

Contact: +91.7678609906

Uttam Bharat @2025. All Rights Reserved.