Bihar Bandh: बिहार में बुधवार को महागठबंधन के आह्वान पर बुलाए गए बिहार बंद का व्यापक असर राज्य भर में देखने को मिला। बंद का मुख्य मुद्दा चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम था, जिसे विपक्ष ने जनविरोधी और लोकतंत्र विरोधी करार दिया।
राजधानी पटना समेत राज्य के अधिकांश जिलों में विपक्षी दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, जगह-जगह मार्च निकाला और चक्का जाम कर विरोध जताया। पटना, गोपालगंज, सहरसा, दरभंगा, खगड़िया, मुंगेर, बांका, किशनगंज, और बक्सर समेत कई जिलों में दुकानें बंद रहीं और यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
राहुल गांधी का पटना मार्च
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी विशेष रूप से पटना पहुंचे और तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी समेत महागठबंधन के नेताओं के साथ आयकर गोलंबर से पैदल मार्च में शामिल हुए। यह मार्च निर्वाचन आयोग कार्यालय तक प्रस्तावित था, लेकिन शहीद स्मारक के पास भारी पुलिस बल की बैरिकेडिंग के कारण आगे नहीं बढ़ सका।
मार्च के दौरान राहुल गांधी ने हाथ में संविधान की प्रति लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि “महाराष्ट्र और हरियाणा में वोट की चोरी हुई और अब बिहार में वही मॉडल अपनाया जा रहा है।” उन्होंने कहा, आपको जो करना है करिए, लेकिन कानून बाद में आप पर लागू होगा।
चुनाव आयोग तक नहीं पहुंचा प्रतिनिधिमंडल
हालांकि प्रदर्शन के दौरान कहा गया था कि महागठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपेगा, लेकिन देर शाम तक ऐसा कोई प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय नहीं पहुंचा। अधिकारी पूरे दिन प्रदर्शनकारियों की प्रतीक्षा में रहे।
सड़कों पर उग्र प्रदर्शन
खगड़िया, सहरसा और गोपालगंज में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने टायर जलाए, सड़क जाम किया और बाजार बंद कराए। कई स्थानों पर ट्रेनें रोकी गईं, जबकि राजमार्गों पर यातायात ठप हो गया। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर भारी पुलिस बल तैनात किया। सहरसा में आवश्यक सेवाओं को जाम से मुक्त रखा गया।
प्रशासन की सतर्कता
पटना में सचिवालय थाना क्षेत्र, आयकर गोलंबर और शहीद स्मारक के पास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। पुलिस ने कई बार प्रदर्शनकारियों से बैरिकेडिंग न तोड़ने की अपील की, लेकिन कुछ स्थानों पर स्थिति तनावपूर्ण भी रही।
नेताओं के आरोप
राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कहा कि “आधार, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को नहीं मानकर गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटाया जा रहा है।” वहीं भाकपा के नेताओं ने पुनरीक्षण प्रक्रिया की शर्तों को “वोट कटवाने की साजिश” बताया।
निष्कर्ष
बिहार बंद ने राज्य में राजनीतिक सरगर्मी को तेज कर दिया है। चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर विपक्ष की आपत्ति अब सड़कों से होते हुए संवैधानिक संस्थाओं के दरवाजे तक पहुंचने की तैयारी में है। हालांकि, महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल की अनुपस्थिति ने सवाल जरूर खड़े किए हैं।