गुरुग्राम: शिवपुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव का पूरे विधि-विधान के अनुसार रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए। महादेव का रुद्राभिषेक करने से क्या लाभ मिलता है। किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है, यानि कि जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतू रुद्राभिषेक किया जा रहा है, उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए।
सामाजिक संस्था मैत्री कल्याण मंच द्वारा संचालित सैक्टर 4 स्थित श्रीकृष्ण मंदिर के कथावाचक पंडित अतुल शास्त्री ने श्रावण के पहले दिन शिव महापुराण की कथा में प्रवचन करते हुए रुद्राभिषेक के विधि-विधान की विस्तृत जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि महादेव का जल से अभिषेक करने पर वृष्टि होती है।
कुशाजल से अभिषेक करने पर श्रद्धालुओं को रोग व कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन व वाहन की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति, मधुयुक्त जल से अभिषेक करने से धन वृद्धि, तीर्थ जल से अभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार इत्र मिले जल से अभिषेक करने पर बीमारी दूर होती है, दूध के अभिषेक से पुत्र प्राप्ति, प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामना पूर्ण होती है।
गंगाजल से अभिषेक करने पर ज्वर ठीक हो जाता है। ज्योतिषाचार्य ने कहा कि शर्करा मिश्रित दुग्ध से अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति, घी से अभिषेक करने पर वंश विस्तार होता है। सरसों के तेल से अभिषेक करने पर रोग तथा शत्रु का नाश हो जाता है। शुद्ध शहद से अभिषेक करने पर पाप दूर हो जाते हैं। उन्होंने शिव के रुद्र रुप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने में होने वाले पापाचरण से श्रद्धालुओं को छुटकारा मिल जाता है।
संस्था के चेयरमैन एसएस दहिया ने बताया कि पूरे श्रावण मास में प्रतिदिन शिव महापुराण की कथा का आयोजन किया जाएगा। श्रावण के पहले दिन ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। शहर के विभिन्न मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का अभिषेक किया।