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एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज पृथ्वी पर करेंगे लैंड, स्पेस में रच दिया इतिहास, जानें कब और कहां

Astronaut Shubhanshu Shukla: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज अपना मिशन पूरा करके धरती की ओर लौट रहें है। चारों एस्ट्रोनॉट आज वापसी की राह पर है। ये नासा और SpaceX का संयुक्त मिशन है। इस स्पेस मिशन में 4 देशों के 4 एस्ट्रोनॉट शामिल हैं। ये देश हैं भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी जिनके एस्ट्रोनॉट […]

Astronaut Shubhanshu Shukla: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज अपना मिशन पूरा करके धरती की ओर लौट रहें है। चारों एस्ट्रोनॉट आज वापसी की राह पर है। ये नासा और SpaceX का संयुक्त मिशन है। इस स्पेस मिशन में 4 देशों के 4 एस्ट्रोनॉट शामिल हैं। ये देश हैं भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी जिनके एस्ट्रोनॉट मिशन में शामिल हैं।

शुंभाशु शुक्ला अपने चार एस्ट्रोनॉट ने साथ 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट से ISS के लिए निकले थे। पृथ्वी से 28 घंटे की यात्रा कर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे। यहां उन्होंने 18 दिन का समय बिताया है। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन होगा।

कब और कहां लैंड होंगे एस्ट्रोनॉट

शुंभाशु शुक्ला के साथ चारों एस्ट्रोनॉट 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी के लिए रवाना हुए थे। ये सभी एस्ट्रोनॉट 15 जुलाई को पृथ्वी पर पहुंचेंगे। 15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन होगा। इसके बाद सभी एस्ट्रोनॉट को समुद्र से बाहर निकाला जाएगा।

एक्सिओम स्पेसएक्स के हैंडल के अनुसार, एक्सिओम स्पेस वेबसाइट पर अंतरिक्ष में उतरने का सीधा प्रसारण भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे से शुरू होगा। स्पेसएक्स ने एक्स पर जानकारी शेयर करते हुए कहा कि अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने और सैन डिएगो के तट पर उतरने की रास्ते पर है। इस मिशन को सफल बनाने के लिए 60 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययन और 20 से अधिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए।

माता पिता कर रहे बेटे का इंतजार

एक्सिओम-4 मिशन के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक अनडॉक होने के बाद, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के माता-पिता ने सोमवार को कहा कि वे उनकी सुरक्षित लैंडिंग के लिए प्रार्थना करेंगे। उनके पिता ने कहा, “हमें बहुत खुशी है कि अनडॉकिंग सुरक्षित रूप से हुई। हमें उम्मीद है कि आज लैंडिंग भी सुचारू रूप से होगी। हमें ईश्वर पर पूरा भरोसा है।

क्यों खास है शुंभाशु का ये मिशन

शुंभाशु का ये मिशन इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि साल 1984 के बाद अंतरिक्ष जाने वाले वे भारत के दूसरे एस्ट्रोनॉट हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। शुंभाशु के इस मिशन के बाद भारत भविष्य में कमर्शियल स्पेस स्टेशन की स्थापना कर सकता है। इसके साथ ही स्पेस में नई तकनीकों का परीक्षण और विकास भी किया जा सकेगा। इस मिशन के जरिए 2027 में मानव अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने में मदद मिलेगी।

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