Shashi Tharoor Troubles: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर इन दिनों अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। पहले पार्टी हाईकमान ने उनके राष्ट्रवाद संबंधी बयानों से दूरी बनाई, और अब केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) ने भी थरूर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केरल यूनिट ने साफ कर दिया है कि जब तक थरूर राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपना रुख नहीं बदलते, तब तक उन्हें तिरुवनंतपुरम में किसी भी पार्टी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
यह विवाद उस समय और गहराया जब थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए अमेरिका में दिए अपने बयानों में सेना और केंद्र सरकार के कदमों का समर्थन किया। उन्होंने कहा था कि देश को हमेशा पहले रखा जाना चाहिए और राजनीतिक दलों को राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानना चाहिए।
‘हमारे साथ नहीं हैं’- मुरलीधरन
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य शशि थरूर को लेकर केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “जब तक थरूर अपना रुख नहीं बदलते, हम उन्हें किसी भी पार्टी कार्यक्रम में नहीं बुलाएंगे। वह हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए बहिष्कार जैसा कोई सवाल नहीं उठता।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि थरूर के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, इसका फैसला पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा। मुरलीधरन ने इससे पहले एक सर्वेक्षण पर भी सवाल उठाए थे जिसमें थरूर को UDF की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए लोकप्रिय विकल्प बताया गया था।
थरूर बोले- ‘देश सर्वोपरि, रुख नहीं बदलूंगा’
शशि थरूर ने कोच्चि में एक कार्यक्रम में कहा, मैं अपने रुख पर कायम रहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि यही देश के लिए सही है।” उन्होंने दो टूक कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर समर्थन को अगर उनकी पार्टी विश्वासघात समझती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब देश संकट में हो, तब राजनीतिक मतभेदों को भुला देना चाहिए। थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की एक प्रसिद्ध उक्ति दोहराई – अगर भारत ही न रहा, तो फिर क्या बचेगा?
अंदरूनी असहमति या नई राजनीतिक राह
थरूर द्वारा हाल ही में इंदिरा गांधी के आपातकाल को लेकर की गई आलोचना, और भाजपा के कुछ रुखों को राष्ट्रहित में सही ठहराना, कांग्रेस नेतृत्व को अखर रहा है। पार्टी के भीतर उन्हें लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है, और अब केरल यूनिट द्वारा उन्हें अलग-थलग कर देना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस में उनका भविष्य अब अनिश्चित होता जा रहा है। सवाल यही है- क्या शशि थरूर कांग्रेस में बने रहेंगे या फिर एक नया राजनीतिक विकल्प तलाशेंगे?
निष्कर्ष:
शशि थरूर के ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ रुख ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर वह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार और सेना के साथ खड़े होने को अपना दायित्व मानते हैं, वहीं पार्टी इसे संगठनात्मक अनुशासन का उल्लंघन मान रही है। आने वाले दिन तय करेंगे कि थरूर का यह रुख उन्हें और अकेला करता है या एक नई राह दिखाता है।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-