Lalu Yadav YKR Equation: बिहार की सियासत में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। लंबे समय तक ‘मुस्लिम-यादव’ (MY) गठजोड़ के सहारे सत्ता में रहने वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अब इस भरोसे को अपर्याप्त मान रही है। पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ने अब नया समीकरण खड़ा करने की कवायद शुरू कर दी है- यादव, कुशवाहा और राजपूत यानी YKR समीकरण।
YKR: सत्ता की नई चाभी?
राजपूत समाज को अपने साथ जोड़ने के प्रयास में RJD अब खुलकर मैदान में है। वीर कुंवर सिंह और महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों की विरासत को अपना बताकर पार्टी राजपूत समुदाय को साधना चाह रही है। सारण में वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि पर तेजस्वी यादव ने 80 फीट ऊंची प्रतिमा बनवाने का वादा किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “आप आशीर्वाद दें, हमारी सरकार बनेगी तो घोड़ा ही 80 फीट का बनवाएंगे।
कुशवाहा वोट: NDA से INDIA तक
लोकसभा चुनाव 2024 में कुशवाहा समाज का झुकाव NDA से हटकर INDIA ब्लॉक की ओर हुआ। RJD ने तीन कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिनमें से एक को लोकसभा दल का नेता भी बनाया गया। यह संकेत है कि तेजस्वी अब कुशवाहा समाज को अपना मजबूत आधार बनाना चाहते हैं।
MY समीकरण की सीमाएं
लालू यादव ने सामाजिक न्याय के नाम पर जो M-Y गठजोड़ बनाया था, वह 1990 के दशक में बेहद कारगर रहा। यादव-मुस्लिम आबादी के बल पर लालू-राबड़ी की सरकार 15 साल तक सत्ता में रही। लेकिन 2005 के बाद नीतीश कुमार के उदय के साथ यह समीकरण कमजोर होने लगा। मुसलमानों का झुकाव धीरे-धीरे अन्य विकल्पों की ओर होने लगा।
राजपूत वोट: RJD की नई दिलचस्पी
राजपूत मतदाता पर NDA का प्रभुत्व अब तक बना रहा है। पिछली विधानसभा में BJP के 15, RJD के 7 और अन्य दलों के कुल 28 राजपूत विधायक चुनकर आए थे। हालांकि RJD ने कभी प्रभुनाथ सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे बड़े राजपूत नेताओं के सहारे इस समुदाय में पैठ बनाई थी। अब इन नेताओं की अनुपस्थिति में तेजस्वी को सुनील सिंह और सुधाकर सिंह जैसे चेहरों के भरोसे यह जाति साधनी है।
गठजोड़ का गणित
RJD को लगता है कि अगर 2020 की तरह 23-24% वोट फिर से मिलते हैं तो मात्र 6-7% अतिरिक्त वोटों से बहुमत संभव है। ऐसे में सवर्ण, खासकर राजपूतों को जोड़ना जरूरी हो जाता है। यही वजह है कि RJD अब A to Z की बजाय YKR फार्मूले को आजमा रही है।
नीतीश की जातिविहीन राजनीति बनाम तेजस्वी की जातीय जोड़-तोड़
वहीं नीतीश कुमार के 20 साल के शासन को जातिविहीन विकास का उदाहरण बताया जा रहा है। जन सुराज के प्रशांत किशोर भी जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति की बात करते हैं। लेकिन RJD अब भी जातीय इंजीनियरिंग में विश्वास रखती दिख रही है।
निष्कर्ष-
RJD की सियासी रणनीति में बड़ा बदलाव दिख रहा है। तेजस्वी यादव अब M-Y समीकरण से आगे निकलकर YKR समीकरण के सहारे सत्ता का नया मार्ग तलाशने में जुटे हैं। बिहार की सियासत में यह प्रयोग कितना सफल होगा, इसका जवाब 2025 के विधानसभा चुनाव ही देंगे। लेकिन यह स्पष्ट है कि RJD अब जातीय संतुलन की नई रेखा खींचने को तैयार है।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-