• Home  
  • दिल्ली: धनखड़ का अचानक इस्तीफा, स्वास्थ्य कारण या कोई राजनीतिक संकेत
- टॉप स्टोरीज - दिल्ली - देश - राजनीति

दिल्ली: धनखड़ का अचानक इस्तीफा, स्वास्थ्य कारण या कोई राजनीतिक संकेत

दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को मानसून सत्र के पहले ही दिन अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए अपने औपचारिक इस्तीफे में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन जिस तरह से यह निर्णय एकदम अप्रत्याशित रूप से आया, […]

दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को मानसून सत्र के पहले ही दिन अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए अपने औपचारिक इस्तीफे में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन जिस तरह से यह निर्णय एकदम अप्रत्याशित रूप से आया, उससे सियासी हलकों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

राष्ट्रपति को भेजा 8 पैराग्राफ का इस्तीफा

अपने विस्तृत इस्तीफे में धनखड़ ने लिखा है कि वह “डॉक्टरों की सलाह और स्वास्थ्य देखभाल की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए” तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अंतर्गत यह कदम उठाया। पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्रियों और सभी सांसदों को उनके सहयोग के लिए आभार भी जताया।

कार्यकाल को बताया ‘सम्मान और गर्व’ का समय

धनखड़ ने अपने पत्र में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्हें भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला। उन्होंने इसे “राष्ट्र के इतिहास के परिवर्तनकारी युग में सेवा करने का एक अनूठा अवसर” बताया।

संसद भवन में पूरे दिन उपस्थित, फिर रात को इस्तीफा

यह तथ्य चौंकाने वाला है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सोमवार शाम 4:20 बजे तक राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया, और रात लगभग 9:20 बजे राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। ऐसे में विपक्षी दलों ने इस कदम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाएं-

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

वे पूरे दिन संसद भवन में थे। एक घंटे में ऐसा क्या हो गया जो इस्तीफा देना पड़ा? हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं लेकिन सवाल तो बनता है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल, जो धनखड़ के पुराने साथी रहे हैं, ने कहा,हम कई मुद्दों पर एक-दूसरे के खिलाफ रहे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से हमारा रिश्ता बेहद मजबूत था। जब भी मुझे सदन में बोलने का समय चाहिए होता, उन्होंने कभी इनकार नहीं किया।

शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने भी चिंता जताई और कहा

यदि स्वास्थ्य कारण ही थे, तो सत्र के पहले दिन ही इस्तीफा देना जरूरी क्यों समझा गया? इसे कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था। आखिर सरकार के भीतर क्या चल रहा है?

वहीं आरजेडी नेता प्रोफेसर नवल किशोर यादव ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ सरकार के दबाव में आकर रात को ही अपने पद से इस्तीफा दिया क्योंकि भाजपा और आर एस एस नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने वाले हैं।

मार्च में अस्पताल में भर्ती, स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक दबाव?

मार्च 2025 में AIIMS दिल्ली में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के चलते भर्ती कराया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें क्रिटिकल कार्डियक केयर यूनिट (CCU) में रखा गया और 3 दिन बाद छुट्टी दी गई। इसके बाद से ही वह कम सार्वजनिक रूप से सक्रिय दिखे थे। हालांकि सोमवार को वह संसद में पूरी फॉर्म में नजर आए।

पश्चिम बंगाल से उपराष्ट्रपति तक का सफर

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किसान परिवार में जन्मे धनखड़ का सफर प्रेरणादायक रहा है। सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की। वह राजस्थान हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील रहे। 1989 में जनता दल से राजनीति में प्रवेश किया और झुंझुनूं से लोकसभा पहुंचे।

इसके बाद कांग्रेस, फिर बीजेपी से जुड़कर वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने और 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने।

ममता बनर्जी से कई बार हुआ टकराव

राज्यपाल रहते हुए उनका कार्यकाल लगातार विवादों में रहा, विशेषकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ। ममता ने उन पर केंद्र सरकार के “राजनीतिक एजेंडे” को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था।

इस्तीफे के पीछे क्या है असली कारण?

यद्यपि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों को अपने इस्तीफे की वजह बताया है, लेकिन जिस समय और तरह से यह इस्तीफा दिया गया, वह इसे एक सामान्य घटना नहीं बनाता। संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस्तीफा देना असामान्य माना जा रहा है।

क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला है या फिर इसके पीछे कोई गंभीर राजनीतिक या संवैधानिक कारण छिपा है? यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उत्तम भारत में, हम सत्य की शक्ति, समुदाय के मूल्य और सूचित नागरिकों के महत्व में विश्वास करते हैं। 2011 में स्थापित, हमने अपने पाठकों को विश्वसनीय समाचार, व्यावहारिक विश्लेषण और महत्वपूर्ण कहानियाँ प्रदान करने पर गर्व किया है।

Email Us: uttambharat@gmail.com

Contact: +91.7678609906

Uttam Bharat @2025. All Rights Reserved.