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मुख्य चुनाव आयुक्त का सवाल, “क्या मृत लोगों के नाम वोटर लिस्ट में होने चाहिए? बिहार में SIR अभियान पर घमासान तेज

Bihar News: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष जहां इस अभियान को गरीबों और वंचित समुदायों के मताधिकार पर हमला बता रहा है, वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने इस प्रक्रिया का मजबूती से बचाव करते हुए विपक्ष से […]

Bihar News: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष जहां इस अभियान को गरीबों और वंचित समुदायों के मताधिकार पर हमला बता रहा है, वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने इस प्रक्रिया का मजबूती से बचाव करते हुए विपक्ष से तीखा सवाल पूछा है- “क्या मृत लोगों, डुप्लीकेट वोटरों और विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची में रहना चाहिए?

CEC का स्पष्ट संदेश: “शुद्ध मतदाता सूची ही लोकतंत्र की नींव”

CEC ज्ञानेश कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा कि SIR अभियान का उद्देश्य केवल एक स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची तैयार करना है। उन्होंने दो टूक पूछा, “क्या हमें मृत मतदाताओं को सूची में बनाए रखना चाहिए? क्या दोहरे पंजीकरण और अवैध प्रवासियों को वोट देने की छूट होनी चाहिए?” उन्होंने इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बताते हुए कहा कि एक निष्पक्ष चुनाव की आधारशिला ही शुद्ध मतदाता सूची है।

विपक्ष का तीखा विरोध, संसद में प्रदर्शन

गुरुवार को सोनिया गांधी, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने संसद भवन परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस, RJD, द्रमुक, तृणमूल, वामदल और समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने आरोप लगाया कि यह अभियान बिहार चुनाव से पहले गरीबों और हाशिए के लोगों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है।
तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कहा कि अगर SIR प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो विपक्ष आगामी चुनावों का बहिष्कार कर सकता है।

चुनाव आयोग का आंकड़ा: 56 लाख नाम सूची से बाहर

चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 56 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं।

20 लाख मृत मतदाता
28 लाख राज्य से बाहर स्थानांतरित लोग
7 लाख डुप्लिकेट पंजीकरण
1 लाख जिनका कोई ठोस पता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं और आयोग की सफाई

SIR प्रक्रिया को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। कोर्ट ने फिलहाल प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी है लेकिन समानता और दस्तावेजों की स्वीकार्यता जैसे पहलुओं पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि यह अभियान केवल बिहार में ही क्यों चलाया जा रहा है, पूरे देश में क्यों नहीं?

चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि 2003 की सूची में शामिल 4.96 करोड़ मतदाताओं को कोई नया दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। सिर्फ बाकी 3 करोड़ मतदाताओं को अपनी पहचान के लिए 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक देना होगा।

चुनाव का टाइमलाइन: अक्टूबर में घोषणा, नवंबर में मतदान

सूत्रों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना अक्टूबर के पहले सप्ताह में जारी हो सकती है। मतदान 30 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच प्रस्तावित है। परिणाम 10-12 नवंबर तक आने की संभावना है। राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 22 नवंबर से पहले नई सरकार का गठन तय है।

निष्कर्ष: मतदाता सूची पर सियासी संग्राम

SIR अभियान बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक विवाद का बड़ा कारण बन गया है। एक ओर चुनाव आयोग शुद्ध सूची और निष्पक्षता की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे जनाधिकार पर हमला मान रहा है। इस बीच सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं।

न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-

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