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ममता बनर्जी ने छेड़ा नया भाषा आंदोलन, भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषियों को बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लेने का आरोप

Mamata Banerjee Language Movement: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बांग्ला भाषा के मुद्दे को सियासी बहस के केंद्र में ला दिया है। गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने केंद्र और भाजपा शासित राज्यों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “बांग्ला भाषियों […]

Mamata Banerjee Language Movement: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बांग्ला भाषा के मुद्दे को सियासी बहस के केंद्र में ला दिया है।

गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने केंद्र और भाजपा शासित राज्यों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “बांग्ला भाषियों को बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया जा रहा है, यह भाषाई आतंकवाद है।

30 करोड़ बांग्ला भाषी लोगों की आवाज

उन्होंने ऐलान किया कि अब समय आ गया है कि बांग्ला भाषा और अस्मिता की रक्षा के लिए एक बार फिर से “भाषा आंदोलन” शुरू किया जाए। ममता बनर्जी ने कहा कि यह सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि देशभर में फैले 30 करोड़ बांग्ला भाषी लोगों की आवाज है, जिनके साथ अन्याय हो रहा है।

जमीन की रक्षा के लिए हरसंभव लड़ाई

मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में हाल ही में हुई घटना का जिक्र किया, जहां कथित तौर पर कुछ बांग्ला भाषी लोगों को हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अस्वीकार्य है और “हम अपनी भाषा, संस्कृति और जमीन की रक्षा के लिए हरसंभव लड़ाई लड़ेंगे।

‘बांग्ला कार्ड’ खेलने की रणनीति

ममता बनर्जी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। जानकारों का मानना है कि ममता एक बार फिर ‘बांग्ला कार्ड’ खेलने की रणनीति पर काम कर रही हैं, जैसा वह पहले के चुनावों में भी कर चुकी हैं।

बंगाली भाषा पांचवीं बड़ी भाषा

ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा, “बंगाली भाषा दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी भाषा है। इसके बावजूद हमारे लोगों को शक की नजर से देखा जा रहा है। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों का मानना है कि भाषा के सहारे भावनात्मक जुड़ाव की राजनीति पश्चिम बंगाल में असरदार साबित होती रही है, और ममता इसे एक मजबूत मुद्दे के रूप में चुनाव तक बनाए रखना चाहती हैं।

इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि आगामी महीनों में तृणमूल कांग्रेस राज्य में “भाषा और अस्मिता” को लेकर एक भावनात्मक मुहिम छेड़ने की तैयारी में है।

न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-

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