Bijnor Crime: बिजनौर के नजीबाबाद थाना क्षेत्र के छोटे से गांव अलीपुरा में रात का सन्नाटा एक चीख से टूटा। 50 साल का नजाकत- जिसके दिल में शक का जहर घुल चुका था, उसने अपनी दूसरी पत्नी साहिबा की जिंदगी को चाकू की एक नोक से हमेशा के लिए खत्म कर दिया। यह कहानी सिर्फ एक हत्या की नहीं, बल्कि उस शक की है, जो रिश्तों को दीमक की तरह चुपके-चुपके खोखला कर देता है और आखिरकार खून की नदियां बहा देता है।
दिमाग में साहिबा के प्रति अविश्वास
नजाकत और साहिबा की कहानी कोई अनोखी नहीं थी। बिहार की रहने वाली साहिबा, नजाकत की दूसरी पत्नी थी। उनकी जिंदगी में चार बच्चे थे। जो इस रिश्ते की मासूम गवाही थे। लेकिन नजाकत का मन शक के काले बादलों में डूबा था। वह सट्टे का आदी था, और शायद यही लत उसके दिमाग में साहिबा के प्रति अविश्वास का बीज बो गई।
10 दिन पहले ही दिया था तलाक
घर में आए दिन होने वाले क्लेश इस बात का सबूत थे कि नजाकत का दिल और दिमाग अब एक-दूसरे से जंग लड़ रहे थे। कहते हैं शक वह आग है जो पहले दिल को जलाती है और फिर रिश्तों को राख कर देती है। नजाकत ने 10 दिन पहले ही साहिबा को तलाक दे दिया था। फिर वह पहाड़ों पर काम करने चला गया, शायद अपने मन को शांत करने की कोशिश में। लेकिन जब वह दो दिन पहले लौटा, तो उसके साथ लौटा वह शक, जो अब और गहरा हो चुका था।
दिमाग में चल रहा था शकी तुफान
रात के करीब एक बजे, जब गांव गहरी नींद में डूबा था, नजाकत ने अपने शक को हथियार बना लिया। साहिबा अपने कमरे में सो रही थी, बेखबर, निश्चिंत। लेकिन नजाकत के दिमाग में चल रहा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा था। उसने चाकू उठाया और साहिबा के गले पर वार कर दिया। एक पल में साहिबा की सांसे थम गई, और खून की लाल धार ने बिस्तर को रंग दिया।
बच्चों की चीख-पुकार
नजाकत, जिसने अपने ही हाथों से अपने परिवार का एक हिस्सा मिटा दिया। साहिबा को मारने के बाद नजाकत द्वारा खुद भी कीटनाशक दवाई पी ली गई। बच्चों की चीख-पुकार ने पड़ोसियों को जगा दिया। गांव में हड़कंप मच गया। भीड़ जमा हुई, लेकिन तब तक साहिबा की जिंदगी का आखिरी पल बीत चुका था।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा
पुलिस मौके पर पहुंची, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, और नजाकत का इलाज कराया जा रहा है। लेकिन सवाल वही रहा, क्या नजाकत का शक इतना गहरा था कि उसने एक मासूम जिंदगी को खत्म कर दिया।
शक इंसान के दिल में कर लेता है घर
नजाकत की पहली पत्नी भूरी के बच्चे अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके थे। साहिबा के साथ उसकी जिंदगी में चार बच्चे आए, लेकिन शक और सट्टे की लत ने इस रिश्ते को कभी चैन नहीं लेने दिया। अपर पुलिस अधीक्षक संजीव बाजपेई ने बताया कि नजाकत का उपचार कराया जा रहा है मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। लेकिन यह हत्या सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है। यह उस मानसिक अंधेरे की कहानी है, जो शक के रूप में इंसान के दिल में घर कर लेता है।