SSC Students: कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं में बार-बार सामने आ रही गड़बड़ियों और पेपर लीक की घटनाओं को लेकर देशभर के छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं।
रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में अभ्यर्थियों और शिक्षकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। लेकिन देर शाम पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बन गई, जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। इस घटना ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है।
राहुल गांधी का तीखा हमला
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस घटना को “डरपोक सरकार की पहचान” करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे एसएससी अभ्यर्थियों और शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज-शर्मनाक ही नहीं, बल्कि डरपोक सरकार की पहचान है।
युवाओं ने सिर्फ अपना हक मांगा था-रोज़गार और न्याय। मिला क्या? लाठियां। साफ है कि मोदी सरकार को न युवाओं की चिंता है, न उनके भविष्य की। यह सरकार जनता के वोटों से नहीं, बल्कि वोट चुराकर सत्ता में आई है। पहले वोट चुराएंगे, फिर परीक्षा चुराएंगे, फिर नौकरियां और हक छीनेंगे। युवाओं, किसानों, गरीबों, बहुजनों और अल्पसंख्यकों-किसी की मांग इस सरकार की प्राथमिकता नहीं है।
प्रियंका गांधी ने पुलिस कार्रवाई को अमानवीय बताया
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार और दिल्ली पुलिस पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि सरकार युवाओं की आवाज़ को दबा रही है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर रहे एसएससी छात्रों पर पुलिस बल प्रयोग अमानवीय और शर्मनाक है।
हर परीक्षा में धांधली, हर भर्ती में घोटाला और पेपर लीक से देश के युवा त्रस्त हैं। भाजपा राज में भर्ती प्रक्रियाओं और परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है। उसे ठीक करने और युवाओं की बात सुनने की जगह उन पर लाठियां बरसाना दुर्भाग्यपूर्ण है। छात्रों पर क्रूरता बरतने के बजाय उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
बीते कई महीनों से एसएससी परीक्षाओं में धांधली और तकनीकी गड़बड़ियों को लेकर अभ्यर्थियों में आक्रोश है। जुलाई-अगस्त में देश के कई राज्यों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। सरकार और आयोग के अधिकारियों से बातचीत के बाद आंदोलन कुछ समय के लिए थम गया था, लेकिन 6 अगस्त को स्टेनोग्राफर परीक्षा में फिर गड़बड़ी की शिकायत आई।
इसके बाद सीजीएल परीक्षा स्थगित कर दी गई, जिससे छात्रों का गुस्सा और भड़क गया। छात्रों का कहना है कि बार-बार पेपर लीक और परीक्षा स्थगित होने से उनका भविष्य अधर में लटक गया है। “हम वर्षों से तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी मेहनत पर पानी फेर रही है,” रामलीला मैदान में मौजूद एक छात्रा ने कहा।
देशभर से जुटे अभ्यर्थी
रामलीला मैदान में हुए प्रदर्शन में सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पहुंचे। आंदोलनकारियों का कहना था कि अगर सरकार और आयोग ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो वे इसे और बड़ा रूप देंगे।
पुलिस का बल प्रयोग और गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने बताया कि छात्रों को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी। अधिकांश छात्र निश्चित समय के बाद चले गए, लेकिन लगभग 100 छात्र मैदान में रुककर प्रदर्शन जारी रखे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, बार-बार समझाने के बाद भी छात्र हटने को तैयार नहीं हुए।
इसके बाद पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और 44 छात्रों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। हालांकि प्रदर्शनकारी छात्रों और कांग्रेस का आरोप है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए बर्बर लाठीचार्ज किया। कई छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया और खींचकर बसों में भर दिया गया।
राजनीति गरमाई
घटना के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसे युवाओं के साथ विश्वासघात बताया है। वहीं भाजपा की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार इसे कानून-व्यवस्था का मामला मान रही है।
मैदान में तैनात पुलिस बल
रामलीला मैदान में अब छात्रों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पूरे इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज हो सकता है, क्योंकि इस मुद्दे पर छात्रों को देशभर के संगठनों का समर्थन मिल रहा है।
छात्रों की मांग
आंदोलनकारी छात्रों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि –
एसएससी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
बार-बार हो रही पेपर लीक और तकनीकी गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच हो।
स्थगित परीक्षाओं की नई तारीख जल्द घोषित की जाए।
दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए।