Bihar Election 2025: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर मचे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि निर्वाचन आयोग (ECI) की प्रक्रिया में कोई अनियमितता पाई गई, तो अदालत हस्तक्षेप करने में हिचकेगी नहीं।
12 और 13 अगस्त को सुनवाई तय
शीर्ष अदालत ने SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12-13 अगस्त की तारीख तय की है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे 8 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें जमा करें।
क्या है मामला?
निर्वाचन आयोग ने 24 जून को SIR प्रक्रिया शुरू की थी, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और गैर-नागरिकों के नाम हटाना है। आयोग के अनुसार, पिछले 20 वर्षों से बिहार में गहन पुनरीक्षण नहीं हुआ है।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं – जिनमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) शामिल है- का आरोप है कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करता है और इससे लाखों लोगों का मताधिकार छिन सकता है।
चुनाव आयोग का पक्ष
ECI की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग को संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत यह अधिकार प्राप्त है। आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार और मतदाता पहचान पत्र को मान्य दस्तावेज माना जाएगा, जबकि राशन कार्ड की प्रामाणिकता संदिग्ध हो सकती है।
65 लाख मतदाता सूची से बाहर?
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया कि SIR प्रक्रिया में लगभग 65 लाख मतदाताओं को सूची से हटाया जा सकता है। इस पर अदालत ने कहा कि अंतिम आंकड़ा आपत्तियों के निपटारे के बाद ही स्पष्ट होगा।
कोर्ट की चेतावनी
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अगर चुनाव आयोग अधिसूचना से जरा भी विचलित हुआ, तो हम हस्तक्षेप करेंगे।
अगला कदम
8 अगस्त तक लिखित दलीलें दाखिल होंगी
12-13 अगस्त को प्रारंभिक सुनवाई
सितंबर में अंतिम सूची आने के बाद दूसरा चरण।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार किया है, लेकिन स्पष्ट किया कि किसी भी अनियमितता पर सख्त कार्रवाई होगी।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-