Bihar Tazia Procession: बिहार के कई जिलों में मोहर्रम के मौके पर निकाले जा रहे ताजिया जुलूस के दौरान सांप्रदायिक तनाव और हिंसक झड़पें देखने को मिली हैं। भागलपुर, अररिया और कटिहार में हुए उपद्रव में लाठी-डंडों से लेकर गोलीबारी और पत्थरबाज़ी तक हुई है। पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया है, लेकिन स्थिति संवेदनशील बनी हुई है।
भागलपुर- आपसी विवाद से भड़की हिंसा, चली गोलियां
भागलपुर जिले के लोदीपुर थाना क्षेत्र के अस्तु गांव में ताजिया जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच कहासुनी के बाद तनाव बढ़ गया। देखते ही देखते दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और लाठी-डंडों के साथ-साथ दो राउंड गोली चलने की भी पुष्टि हुई है। घटना में आठ लोग घायल हुए हैं, जिनकी पहचान मो. अफरान, मो. सफरान, मो. शहजादा, मो. सड्डू, मो. नजरुल, मो. ताहिर, जाहिद और सबरान के रूप में हुई है। सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शनिवार शाम को ही दोनों पक्षों में कहासुनी हुई थी, जो रविवार को ताजिया जुलूस के दौरान हिंसक रूप ले गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी गई है।
अररिया- फारबिसगंज में दो गुटों के बीच पत्थरबाजी
अररिया जिले के फारबिसगंज के दसआना कचहरी मैदान में ताजिया जुलूस के दौरान लाठी खेल को लेकर दो गुटों के बीच विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच जमकर लाठी-डंडे और पत्थर चले। घटना के बाद अफरातफरी मच गई। प्रशासनिक अधिकारियों की त्वरित कार्रवाई से स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।
कटिहार- महावीर मंदिर में तोड़फोड़
कटिहार जिले के नया टोला इलाके में ताजिया जुलूस के दौरान असामाजिक तत्वों ने महावीर मंदिर पर ईंट-पत्थर फेंक कर तोड़फोड़ की। आसपास के घरों में भी खिड़कियों के शीशे तोड़े गए। घटना के विरोध में सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया है। फिलहाल इलाके में तनाव बरकरार है।
प्रशासन सतर्क, लेकिन चुनावी साल में बढ़ सकती है राजनीतिक गर्मी
इन घटनाओं के बाद जिला प्रशासन और पुलिस बल अलर्ट मोड पर हैं। संबंधित थाना क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। विधि-व्यवस्था डीएसपी चंद्र भूषण ने कहा कि सभी घटनाओं की जांच की जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
हालांकि जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह की घटनाएं राजनीतिक रंग ले सकती हैं।
आशंका जताई जा रही है कि असामाजिक तत्व और राजनीतिक दल अपने-अपने हितों को साधने के लिए ऐसी घटनाओं को और भड़का सकते हैं। ऐसे में दोनों समुदायों के प्रबुद्धजनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे शांति बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें, ताकि मासूम लोग इस हिंसा की चपेट में न आएं।