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NDA में रहेंगे चिराग पासवान, सीटों के लिए भाजपा पर दबाव, 30 सीटों की मांग, 20-25 पर सहमति संभव

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए खेमे में सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की 30 सीटों की मांग ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि उन्हें 20 से 25 […]

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए खेमे में सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की 30 सीटों की मांग ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।

हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि उन्हें 20 से 25 सीटें ही मिलने की संभावना है। इसके बावजूद यह तय माना जा रहा है कि चिराग पासवान एनडीए के साथ बने रहेंगे और गठबंधन की सामूहिक रणनीति के तहत ही चुनाव लड़ेंगे।

चिराग पासवान की स्थिति गठबंधन में मजबूत

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा और जेडीयू करीब सौ-सौ सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि बाकी सीटें सहयोगी दलों को दी जाएंगी। चिराग की यह सक्रियता पिछले विधानसभा चुनाव से अलग है, जब लोजपा एनडीए से बाहर होकर अलग लड़ी थी। इस बार एनडीए में वापसी के साथ ही वह ज्यादा हिस्सेदारी के लिए भाजपा पर दबाव बना रहे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “चिराग पासवान की स्थिति गठबंधन में मजबूत है। वह भाजपा की रणनीति के मुताबिक ही चलेंगे। पिछली बार साथ नहीं रहने के कारण इस बार वे अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहते हैं। लेकिन अंततः समझौता हो जाएगा।

राजनीतिक हैसियत और मजबूत

गौरतलब है कि चिराग पासवान पहले ही खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “हनुमान” बता चुके हैं। ऐसे में यह स्पष्ट संकेत है कि वे भाजपा के नेतृत्व को चुनौती नहीं देंगे, बल्कि अपनी राजनीतिक हैसियत को और मजबूत करने के लिए सीमित दबाव की राजनीति कर रहे हैं।

चिराग पासवान की बयानबाजी सिर्फ…

इस बीच लोजपा (रामविलास) की बढ़ती मांगों से जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसो जैसी छोटी पार्टियों की सीटों पर असर पड़ सकता है। हालांकि भाजपा इसे बड़ी समस्या नहीं मानती और जल्द समाधान की उम्मीद जता रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान की बयानबाजी सिर्फ अधिक सीटों की मांग भर नहीं है, बल्कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य छोटे दलों को भी यह दिखाना चाह रहे हैं कि बिहार की राजनीति में अब उनकी स्थिति कहीं अधिक प्रभावशाली हो चुकी है।

हालात पलटने की कोशिश

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में चिराग को जगह देंगे, या फिर अपने पुराने राजनीतिक पैंतरों से हालात को पलटने की कोशिश करेंगे। एक बात तो तय है, इस बार बिहार का चुनाव दिलचस्प और रणनीतिक रूप से काफी अहम होने वाला है।

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