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OBC Reservation: CJI गवई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर जताया आश्चर्य, OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 जुलाई) को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार की संशोधित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाई गई थी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट […]

OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 जुलाई) को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार की संशोधित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाई गई थी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट का आदेश त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।

सुनवाई के दौरान CJI गवई ने हाई कोर्ट के तर्क पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “यह आश्चर्यजनक और त्रुटिपूर्ण है। हाई कोर्ट इस पर रोक कैसे लगा सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्यों का हिस्सा है। इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ओबीसी सूची में बदलाव कार्यपालिका कर सकती है।

राज्य सरकार का पक्ष और 9 लाख रिक्त पदों का मुद्दा

राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि हाई कोर्ट का आदेश लागू रहने से 9 लाख रिक्त पदों पर भर्ती अटक जाएगी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट इस आधार पर आगे नहीं बढ़ रहा है कि ओबीसी आयोग ने आवश्यक डेटा संग्रहण की प्रक्रिया अपनाई या नहीं।

पीठ ने कहा कि ओबीसी आयोग की कार्यप्रणाली सही है या नहीं, यह हाई कोर्ट को देखना चाहिए। लेकिन प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट का आदेश सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह छह हफ्तों के भीतर मामले का निपटारा करे और इस दौरान यथास्थिति बनाए रखी जाए।

हाई कोर्ट को नया पीठ गठित करने का निर्देश

CJI गवई ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया जाएगा कि इस मामले को उस पीठ के समक्ष न रखा जाए, जिसने विवादित आदेश पारित किया था। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद तय की गई है।

पृष्ठभूमि: हाई कोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 17 जून 2024 को ममता बनर्जी सरकार द्वारा ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों में 140 उपवर्गों को आरक्षण देने संबंधी अधिसूचनाओं पर अंतरिम रोक लगा दी थी। यह रोक मई 2024 में जारी उस आदेश के बाद आई, जिसमें 77 समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल करने के फैसले को रद्द किया गया था।

राज्य सरकार नई सूची के आधार पर ओबीसी आरक्षण लागू करना चाहती है और अगले वर्ष होने वाले चुनावों से पहले बड़े पैमाने पर भर्तियां करने की योजना बना रही है।

क्या है अगला कदम?

सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब कलकत्ता हाई कोर्ट छह हफ्तों में मामले पर निर्णय देगा। तब तक पश्चिम बंगाल सरकार की संशोधित ओबीसी सूची पर लगी रोक हटा दी गई है और भर्ती प्रक्रिया को लेकर यथास्थिति बनी रहेगी।

स्पष्ट संकेत- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को प्रथम दृष्टया गलत बताते हुए राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। मामला अभी उच्च न्यायालय में आगे की सुनवाई के लिए लंबित रहेगा।

न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-

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