Earthquake: बंगाल की खाड़ी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मंगलवार तड़के आए दो शक्तिशाली भूकंपों ने लोगों को दहला दिया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, पहला झटका 6.3 तीव्रता का था, जो रात 12:11 बजे बंगाल की खाड़ी में दर्ज हुआ।
इसके लगभग डेढ़ घंटे बाद, रात 1:41 बजे निकोबार द्वीप समूह के पास 6.5 तीव्रता का एक और भूकंप महसूस किया गया। दोनों भूकंपों की गहराई 10 किलोमीटर रही।
स्थिति नियंत्रण में, कोई हताहत नहीं
भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने स्पष्ट किया है कि इन भूकंपों के बाद भारत में सुनामी का कोई खतरा नहीं है। अब तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। अधिकारियों ने तटीय क्षेत्रों और द्वीपों में प्रभाव का आकलन शुरू कर दिया है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) और यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर (ईएमएससी) के अनुसार, दूसरा भूकंप ग्रेट निकोबार के कैंपबेल बे से लगभग 94 किमी पश्चिम में केंद्रित था। अनुमान है कि लगभग 25,000 लोगों ने हल्के झटकों को महसूस किया, हालांकि गंभीर नुकसान की संभावना कम आंकी गई है।
भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में लगातार गतिविधि
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिस्मिक जोन-V में आता है, जो भारत के सबसे भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। यह इलाका सुंडा मेगाथ्रस्ट के पास स्थित है, जहां इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और सुंडा प्लेट की टकराहट बार-बार भूकंपीय गतिविधियों और ज्वालामुखी विस्फोटों का कारण बनती है।
2004 में आए 9.1 तीव्रता के भूकंप और सुनामी की तबाही अब भी इस क्षेत्र की यादों में ताजा है, जिसमें 10,000 से अधिक लोगों की जान गई थी।
आपदा प्रबंधन पर जोर
हाल की भूकंपीय गतिविधियों के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), भारतीय सेना और संबंधित राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 29 जुलाई से 1 अगस्त तक बड़े पैमाने पर आपदा प्रबंधन अभ्यास शुरू किया है। इस ड्रिल का उद्देश्य भूकंप और रासायनिक आपदाओं जैसी परिस्थितियों में बेहतर समन्वय स्थापित करना है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
भूकंप विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बंगाल की खाड़ी में भूकंप असामान्य नहीं हैं, लेकिन इनकी तीव्रता और गहराई पर लगातार निगरानी की आवश्यकता है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल से टीमें भेजी हैं, जो तटीय क्षेत्रों में प्रभाव का विस्तृत अध्ययन करेंगी।
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां भविष्य में भी चिंता का कारण बनी रह सकती हैं।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-