नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के “75 साल के बाद राजनीति से संन्यास” संबंधी बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। अब कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने इस बयान का स्वागत करते हुए एक चौंकाने वाला सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोहन भागवत की बात मानते हैं और पद से रिटायर होते हैं, तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए।
गडकरी के लिए तारीफों के पुल, बताया ‘गरीबों का हितैषी’
सागर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने कहा कि नितिन गडकरी प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। उन्होंने तर्क दिया कि गडकरी को देश के गरीबों की सबसे अधिक चिंता है और वे व्यावहारिक सोच के साथ विकास कार्यों में विश्वास रखते हैं। उनके अनुसार, “गडकरी उन गिने-चुने नेताओं में हैं जो बिना भेदभाव के काम करते हैं और आमजन की तकलीफों को समझते हैं।
भागवत के बयान को बताया समयोचित, मोदी पर निशाना
कांग्रेस विधायक ने भागवत के बयान को “साहसिक और समय की मांग” बताया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा ने 75 की उम्र के बाद बी.एस. येदियुरप्पा जैसे वरिष्ठ नेता से पद छोड़वाया, तो वही सिद्धांत प्रधानमंत्री पद पर क्यों लागू नहीं किया जाना चाहिए?
“येदियुरप्पा को 75 की उम्र में इस्तीफा देना पड़ा। उस वक्त उनकी आंखों में आंसू थे। अब समय आ गया है कि भाजपा अपने ही बनाए मापदंड को प्रधानमंत्री मोदी पर भी लागू करे,” गोपालकृष्णा ने कहा।
देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चिंता
कांग्रेस विधायक ने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “देश का धन कुछ ही लोगों के पास सिमटता जा रहा है। अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीबों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे समय में देश को एक संवेदनशील और ज़मीन से जुड़े नेता की ज़रूरत है- और वह हैं नितिन गडकरी।
क्या गडकरी बन सकते हैं एनडीए का नया चेहरा?
हालांकि भाजपा की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कांग्रेस विधायक का यह बयान सियासी गलियारों में नई बहस को जन्म दे सकता है। खासकर ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल 75 वर्ष के हो रहे हैं और विपक्ष लगातार नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है।
कांग्रेस और इंडी गठबंधन की रणनीति?
विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की यह रणनीति भी हो सकती है कि वे मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे कठोर नेतृत्व के मुकाबले भाजपा के भीतर से ही एक नरम और स्वीकार्य चेहरा आगे लाने की वकालत करें, ताकि राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम किया जा सके। नितिन गडकरी उस सांचे में फिट बैठते हैं।
नोट- यह रिपोर्ट राजनीतिक बयानबाजी पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार संबंधित नेताओं के हैं।