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जय हिंद झुग्गी बस्ती पर संकट, 1100 परिवारों के सिर से छत छीनने की तैयारी, बिजली काटे जाने से बढ़ी बेचैनी

Delhi Slum Area: देश की राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ जारी बुलडोजर अभियान की आंच अब वसंतकुंज इलाके की जय हिंद झुग्गी बस्ती तक पहुंच चुकी है। यहां करीब 1100 परिवारों के 5 से 6 हजार लोग दशकों से बसे हुए हैं, लेकिन अब उनका बसा-बसाया संसार उजड़ने के खतरे में है। प्रशासन ने […]

Delhi Slum Area: देश की राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ जारी बुलडोजर अभियान की आंच अब वसंतकुंज इलाके की जय हिंद झुग्गी बस्ती तक पहुंच चुकी है। यहां करीब 1100 परिवारों के 5 से 6 हजार लोग दशकों से बसे हुए हैं, लेकिन अब उनका बसा-बसाया संसार उजड़ने के खतरे में है। प्रशासन ने बिजली कनेक्शन काटकर साफ संकेत दे दिया है कि इस बस्ती पर भी जल्द बुलडोजर चल सकता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, 8 जून 2025 को बिना कोई पूर्व सूचना दिए बस्ती की बिजली काट दी गई। बिजली की आपूर्ति काली मां मंदिर और मदीना मस्जिद में लगे मीटरों से होती थी, जिनके जरिए सब-मीटर से हर झुग्गी तक बिजली पहुंचती थी। बिजली जाने के बाद से गर्मी और उमस में लोग बेहद परेशान हैं। बस्ती की तंग गलियों में रह रहे हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रातें गुजारने को मजबूर हैं।

गर्मी में बेहाल लोग, बिजली कटौती से बढ़ी बेचैनी

16 वर्षों से बस्ती में रह रहीं कनदुरी बर्मन बताती हैं कि वह कूच बिहार (पश्चिम बंगाल) की मूल निवासी हैं। बिजली कटे हुए कई दिन हो चुके हैं। गर्मी में हालात बदतर हो गए हैं, लोग घरों के बाहर जमीन पर सोने को मजबूर हैं।

रोहिंग्या-बांग्लादेशी होने के आरोप, पहचान पर सवाल

बस्ती में रहने वालों पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी होने के आरोप भी समय-समय पर लगाए जाते रहे हैं। पिछले साल स्थानीय प्रशासन द्वारा एक विशेष अभियान में लोगों के पहचान पत्र जांचे गए और बंगाल से उनके दस्तावेज वेरिफाई करवाए गए थे। अधिकतर लोगों के आधार कार्ड पर पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के पते दर्ज हैं। एक निवासी ने जमीन के दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि उनके पास सबूत हैं कि वे भारतीय हैं, बावजूद इसके उन्हें अवैध प्रवासी कहकर निशाना बनाया जा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ना अमानवीय है।

सरकार की चुप्पी, लोगों की चिंता

स्थानीय प्रशासन की तरफ से अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है कि झुग्गी हटाने की कोई तारीख तय है या नहीं। लेकिन बिजली काटने जैसे कदमों से डर और अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है। बस्ती के अधिकतर निवासी घरेलू सहायिका, सफाईकर्मी, या कूड़ा बीनने का काम करते हैं। ऐसे में इनके सामने रोज़ी-रोटी के साथ-साथ सिर पर छत बचाने की भी दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।

अंतिम उम्मीद- न्याय और पुनर्वास की मांग

जय हिंद बस्ती के निवासी प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि उन्हें इंसाफ दिया जाए। यदि विस्थापन जरूरी है, तो पहले उनके लिए वैकल्पिक पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए। लोगों की मांग है कि दिल्ली में दशकों से रहने वालों को अचानक सड़कों पर न छोड़ा जाए।

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