Jharkhand Universities: झारखंड सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव डालने वाला निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में “झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025” को मंजूरी दी गई।
इस नए कानून के तहत राज्य के सभी 13 विश्वविद्यालयों को एक सिंगल अंब्रेला एक्ट के अंतर्गत लाया जाएगा और विश्वविद्यालयों में कुलपति (वीसी), प्रतिकुलपति (प्रोवीसी) तथा वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति अब राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
अब तक क्या था, अब क्या होगा?
अब तक विश्वविद्यालयों में वीसी और प्रोवीसी की नियुक्ति राज्यपाल (चांसलर) के माध्यम से होती थी, लेकिन नए विधेयक के लागू होने के बाद ये नियुक्तियां सीधे राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगी। हालांकि, राज्यपाल विश्वविद्यालयों के चांसलर बने रहेंगे।
राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन
कैबिनेट के फैसले के तहत “झारखंड राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग” का गठन भी किया जाएगा। यह आयोग विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, वित्त अधिकारी, शिक्षक, प्राचार्य और अन्य अशैक्षणिक कर्मियों की नियुक्ति करेगा। अब इन पदों पर नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के माध्यम से नहीं, बल्कि इसी नए आयोग के जरिए होगी।
आयोग में एक अध्यक्ष, एक प्रशासनिक सदस्य और तीन अन्य सदस्य होंगे। अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्ष, प्रशासनिक सदस्य का कार्यकाल चार वर्ष और अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक तय किया गया है।
स्वास्थ्य और कृषि विवि को रखा गया बाहर
झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 के दायरे से स्वास्थ्य और कृषि विश्वविद्यालयों और उनसे संबंधित कॉलेजों को बाहर रखा गया है।
ये पुराने अधिनियम होंगे समाप्त
नए विधेयक के लागू होते ही निम्नलिखित अधिनियम स्वतः निरस्त माने जाएंगे:
झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 2000
झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011
झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016
पं. रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2022
सरकार के पास होंगे सभी अधिकार
अब विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक व अशैक्षणिक पदों के सृजन की शक्ति भी केवल राज्य सरकार के पास होगी।
कैबिनेट ने कुल 21 प्रस्तावों को दी मंजूरी
कैबिनेट की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया कि राज्य के उच्च शिक्षा ढांचे को सुदृढ़ और केंद्रीकृत करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। कैबिनेट बैठक में कुल 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
यह विधेयक राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों पर व्यापक नियंत्रण देता है। जहां एक ओर सरकार इसे शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने वाला कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों का मानना है कि इससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-