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Monsoon Session: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को लेकर गरमाई सियासत, क्या BJP चला रही ‘ऑपरेशन बिहार’

Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन देश की राजनीति उस समय गरमा गई जब उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा, लेकिन इसके पीछे छुपी संभावित राजनीतिक रणनीति को लेकर […]

Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन देश की राजनीति उस समय गरमा गई जब उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा,

लेकिन इसके पीछे छुपी संभावित राजनीतिक रणनीति को लेकर अब अटकलों का दौर शुरू हो गया है। खास तौर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए सामने आने से सियासी गलियारों में हलचल और तेज हो गई है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तेजस्वी के नाम से पोस्ट

इस पूरे घटनाक्रम को और हवा मिली जब सोशल मीडिया पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम से एक पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि धनखड़ का इस्तीफा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और चुनाव आयोग की कार्रवाई से ध्यान भटकाने की रणनीति हो सकती है। पोस्ट में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए नीतीश कुमार का नाम आगे करने जा रही है?

हालांकि यह पोस्ट तेजस्वी यादव के आधिकारिक अकाउंट से नहीं, बल्कि एक पैरोडी अकाउंट से साझा किया गया था। बावजूद इसके, इसने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी और सोशल मीडिया पर #नीतीशकुमार ट्रेंड करने लगा।

बीजेपी की रणनीति या महज अटकलें?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार को एक ‘सम्मानजनक विदाई’ देकर ओबीसी-ईबीसी वोट बैंक को प्रभावित करना चाहती है। उनका मानना है कि यदि नीतीश को उपराष्ट्रपति पद पर भेजा जाता है, तो पार्टी को बिहार में नया नेतृत्व खड़ा करने का अवसर मिलेगा।

हालांकि, कुछ जानकार इस संभावना को अव्यवहारिक बता रहे हैं। उनका तर्क है कि विधानसभा चुनावों में महज कुछ महीने शेष हैं और ऐसे समय में नीतीश का राष्ट्रीय राजनीति में जाना एनडीए की बिहार में पकड़ को कमजोर कर सकता है।

विपक्ष और विश्लेषकों की तीखी प्रतिक्रियाएं

धनखड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की, जबकि वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल ने इसे “स्वास्थ्य कारणों से परे एक राजनीतिक संकेत” करार दिया।

वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने नीतीश को लेकर चल रही अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ आरजेडी की सियासी चाल है। एक यूजर ने लिखा, “नीतीश कहीं नहीं जा रहे, यह तेजस्वी का सियासी शिगूफा है।”

अब आगे क्या?

संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति पद के लिए अगले 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या नीतीश कुमार वास्तव में राष्ट्रीय राजनीति की ओर कदम बढ़ाएंगे या यह महज एक अफवाह है? क्या बीजेपी बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक समीकरण बदलने जा रही है या यह तेजस्वी यादव का राजनीतिक दांव है? इसका जवाब आने वाले दिनों में सामने आएगा।

न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-

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