Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक कुत्ते की वापसी ने बड़ा सियासी रंग ले लिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खगड़िया से सांसद राजेश वर्मा का लापता हुआ साइबेरियन हस्की कुत्ता दो दिन में पुलिस द्वारा ढूंढ निकाला गया। इस पर पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने तीखा व्यंग्य किया है और कहा कि बिहार पुलिस को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
राजनीति और पुलिस की प्राथमिकता पर उठे सवाल
इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि बिहार पुलिस की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि सत्ताधारी वर्ग और उनके प्रतिनिधि हैं। यह घटना ठीक वैसी ही याद दिलाती है जैसे समाजवादी पार्टी के शासनकाल में आजम खान की भैंसें गुम होने पर पूरी यूपी पुलिस उन्हें खोजने में लग गई थी। तब एनडीए ने इस पर खूब तंज कसा था। अब वही तस्वीर बिहार में सामने है, जहां एक सांसद का कुत्ता गायब होते ही पूरी पुलिस सक्रिय हो गई।
क्या है पूरा मामला?
सांसद राजेश वर्मा का विदेशी नस्ल का कुत्ता भागलपुर के खरमनचक स्थित उनके आवास से कुछ दिन पहले लापता हो गया था। काफी तलाश के बाद पता चला कि कुत्ता इशाकचक थाना क्षेत्र में भटक गया था। एक व्यक्ति ने उसे दो दिन तक अपने पास रखा और फिर किसी अन्य को दे दिया।
जब दूसरे व्यक्ति को कुत्ते की कीमत का अंदाजा हुआ, तो उसने ₹20,000 की मांग कर दी। इस पर दोनों में विवाद शुरू हो गया और पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया, कुत्ते को बरामद कर थाने लाया गया और बाद में सांसद के भाई की पुष्टि पर कुत्ता घर लौट आया। पुलिस ने इस मामले की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए भी दी।
पप्पू यादव ने साधा तंज
इस कार्रवाई पर जन अधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर व्यंग्य करते हुए लिखा-
NDA के खगड़िया सांसद के कुत्ते को खोज निकालने के लिए बिहार पुलिस को पूरा देश सलाम करता है।
मैं पूरी जिम्मेदारी से प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वह बिहार पुलिस को भारत रत्न से सम्मानित करें!
बिहार में ‘गुNDAराज’ कायम रखने के लिए भी पुलिस को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए।
लोगों के मन में सवाल
राज्य में जहां हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की घटनाएं रोज सामने आती हैं, वहीं आम लोगों की शिकायतों पर अक्सर पुलिस सुस्त नजर आती है।
अब सांसद के कुत्ते को दो दिन में ढूंढ निकालना लोगों के बीच चर्चा और नाराज़गी का कारण बन गया है। सोशल मीडिया पर पूछा जा रहा है – क्या आम नागरिक की शिकायत पर भी पुलिस उतनी ही तेजी से काम करती है?
निष्कर्ष
यह घटना साफ दिखाती है कि बिहार में प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस की प्राथमिकता किस ओर झुकी हुई है।
जहां एक ओर सांसद का पालतू कुत्ता 48 घंटे में मिल जाता है, वहीं आम नागरिकों की गुमशुदगी और FIR महीनों अधूरी पड़ी रहती हैं। बिहार पुलिस को लेकर जो प्रशंसा और तंज एक साथ सामने आए हैं, वे राज्य की कानून व्यवस्था की सच्चाई को उजागर करते हैं।