मिसाइलों के साथ असॉल्ट राइफलों के लिए की जाएगी उन्नत नाइट साइट की खरीद

मिसाइलों के साथ असॉल्ट राइफलों के लिए की जाएगी उन्नत नाइट साइट की खरीद

Indian Army: मिसाइल से सभी प्रकार के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, मानवरहित विमानों और यूसीएवी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही सभी तरह के मौसम में कम आईआर सिग्नेचर वाले हवाई लक्ष्यों को एलएमएम के जरिए तकरीबन 6 किलोमीटर की रेंज में निशाना लगाया जा सकता है।

Indian Army: आने वाले समय में भारतीय सेना की युद्धक और सामरिक क्षमता में जल्द ही कई गुना का इजाफा देखने को मिलेगा। बल के लिए दो जरूरी रक्षा हथियारों की खरीद को लेकर मंजूरी मिल गई है। 

जिसमें एक ओर सेना की एयर डिफेंस कॉर्प्स ने ब्रिटेन की रक्षा विनिर्माण कंपनी एम/एस थेल्स के साथ हल्की मॉड्यूलर मिसाइल (एलएमएम) सिस्टम की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जबकि दूसरी ओर रक्षा मंत्रालय ने जवानों के लिए 7.62गुणा 51 एमएम की असॉल्ट राइफलों के लिए एडवांस नाइट साइट की खरीद के लिए कुल करीब 659.47 करोड़ रुपए के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 

पर्वतीय इलाकों समेत अन्य रणनीतिक इलाके

सेना ने बताया कि एलएमएम एक हल्की और मानव संचालित मिसाइल है। जिसे ऊंचे पर्वतीय इलाकों समेत अन्य रणनीतिक इलाकों में तैनात किया जा सकता है। मिसाइल लेजर बीम सिद्धांत के जरिए अपने लक्ष्य पर अचूक वार करने और आधुनिक समय में हवाई प्लेटफार्म की कुटिल कार्रवाई से बचाव करने में भी सक्षम है। 

6 किलोमीटर की रेंज में निशाना

मिसाइल से सभी प्रकार के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, मानवरहित विमानों और यूसीएवी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही सभी तरह के मौसम में कम आईआर सिग्नेचर वाले हवाई लक्ष्यों को एलएमएम के जरिए तकरीबन 6 किलोमीटर की रेंज में निशाना लगाया जा सकता है। मिसाइल में एक वार में काम तमाम करने की भी खूबी मौजूद है। 

उच्च श्रेणी की विस्फोटक सामग्री

जिसके लिए इसमें उन्नत दृश्य सिस्टम, फ्यूज और उच्च श्रेणी की विस्फोटक सामग्री की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हाई-वैल्यू ड्रोन, यूएवी को पकड़ने और उसे नष्ट करने के लिए इस सिस्टम की खरीद की गई है।

असॉल्ट राइफल से जुड़े सौदे का महत्व 

659.45 करोड़ के रक्षा सौदे के तहत सैनिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सिगसॉर 716 असॉल्ट राइफल से 500 मीटर की लंबी रेंज तक लक्ष्यों पर सटीकता के साथ प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने में आसानी होगी। 

यह मूल रूप से सैनिकों की रात में देखने की मौजूदा क्षमता (पीएनएस) को बढ़ाएगा। मंत्रालय ने इस खरीद प्रक्रिया को बॉय (इंडियन-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत अमलीजामा पहनाया है। जिसमें स्वदेशी तत्व 51 फीसदी है।

कच्चे-माल की सप्लाई

सरकार का ये कदम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और रक्षा मैन्युफैक्चरिंग को लेकर बड़ा कारगर साबित होगा। साथ ही इससे उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग और कच्चे-माल की सप्लाई में लगे हुए सूक्ष्म एवं लघु उद्योग (एमएसएमई) भी लाभान्वित होंगे।

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