तीन और फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना को रद्द कर सकता भारत

तीन और फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना को रद्द कर सकता भारत

Scorpene Submarines: एमडीएल द्वारा छह जर्मन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आधिकारिक अनुबंध वार्ता पिछले महीने शुरू हुई। एक अन्य सूत्र ने बताया कि पी-75आई के अंतर्गत आने वाली ये नई पीढ़ी की नावें डिजाइन टीओटी (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) और लगभग 60 प्रतिशत स्वदेशी के साथ आएगी।

Scorpene Submarines: भारत (एमडीएल) में तीन और फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण की प्रस्तावित परियोजना को रद्द कर सकता है, जबकि वह उसी संयंत्र में 70,000 करोड़ से अधिक की लागत से छह नई जर्मन मूल की डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियों के निर्माण की योजना पर पूरी तरह से आगे बढ़ रहा है। 

अंतिम निर्णय अभी तक आधिकारिक

रिपोर्ट के मुताबिक जर्मन पनडुब्बी की खासियत देखने के बाद फ्रांस की तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा हैं कि इस डील को कभी भी रद्द किया जा सकता है। हालांकि, फ्रांस से जुड़ी इस डील को रद्द करने का अंतिम निर्णय अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं लिया गया है।

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति

सूत्रों ने बताया कि तीन और पनडुब्बियों के लिए लागत पर बातचीत पिछले वित्त वर्ष में ही पूरी हो गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की अंतिम मंजूरी अभी रोक दी गई है, क्योंकि जर्मन पनडुब्बियों को उनसे एक पीढ़ी आगे माना जा रहा है।

छह पनडुब्बियों में शामिल

सूत्र ने कहा, एमडीएल के लिए दो अलग-अलग जटिल पनडुब्बी निर्माण परियोजनाओं को एक साथ संभालना मुश्किल होगा। तीन नई स्कॉर्पीन पनडुब्बियां एमडीएल द्वारा 23,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत वाली ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत पहले से निर्मित छह ऐसी पनडुब्बियों में शामिल होनी थीं, जिस पर अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षर किए गए थे। 

नई पीढ़ी की नावें

एमडीएल द्वारा छह जर्मन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आधिकारिक अनुबंध वार्ता पिछले महीने शुरू हुई। एक अन्य सूत्र ने बताया कि पी-75आई के अंतर्गत आने वाली ये नई पीढ़ी की नावें डिजाइन टीओटी (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) और लगभग 60 प्रतिशत स्वदेशी के साथ आएगी। 

यह परियोजना भविष्य की पी-76 के लिए एक सेतु का काम करेगी, जिसके तहत पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन के आधार पर किया जाएगा।

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