Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमा पर जारी विवाद के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सैन्य युद्धक पैराशूट सिस्टम (एमसीपीएस) का 32 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने का सफल परीक्षण किया गया है।
भरोसा और उन्नत डिजाइन
जिसे भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर.वी.कामत ने इस सफलता के लिए संगठन, सशस्त्र सेनाओं और उद्योग जगत को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि परीक्षण के दौरान वायुसेना ने इस उत्पाद की क्षमता, भरोसा और उन्नत डिजाइन को स्पष्ट रूप से सबके सामने प्रदर्शित किया है।
बेंगलुरु की डिफेंस बायो इंजीनियरिंग
इसके बाद ही ये सिस्टम एक ऐसा सिस्टम बन गया है। जिसे सशस्त्र सेनाओं द्वारा 25 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर ऑपरेट किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि एमसीपीएस को डीआरडीओ की आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और बेंगलुरु की डिफेंस बायो इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लेबोरेटरी द्वारा विकसित किया गया है।
आसानी से हो सकती है लैंडिंग
दोनों प्रयोगशालाओं ने इसमें उन्नत युद्धक फीचर शामिल किए हैं। जिसमें पैराशूट में क्षमता की अधिकता के साथ ही पैराट्रूपर सुरक्षित विमान से बाहर निकल सकते हैं। साथ ही इन्हें पूर्व निर्धारित ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से तैनात किया जा सकता है, दिशा ज्ञान के साथ ही चयनित क्षेत्र में आसानी से इनकी लैंडिंग की जा सकती है।
मरम्मत और रखरखाव में लगेगा कम समय
इस सिस्टम की सफलता से स्वदेशी पैराशूट सिस्टम को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ये सिस्टम पैराशूट सिस्टम के अपने जीवनकाल में स्वतंत्र रूप से समूचे उपयोग की भी पुष्टि करेगा। जिसमें इसकी नियमित मरम्मत और रखरखाव में लगने वाला कम समय भी शामिल है।
दूसरे देशों में घटेगी भारत की निर्भरता
जिससे ये एक आयातित उपकरण की तुलना में सैन्यबलों के लिए बेहद मुफीद साबित होगा। इसके अलावा इस सिस्टम की मदद से संघर्षों और युद्धकाल में दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता भी घटेगी।