Saifni: शरद पूर्णिमा का पावन पर्व सैफनी नगर और आस-पास के क्षेत्रों में पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने सुख-समृद्धि की कामना के साथ उपवास रखा और देर शाम को भगवान चंद्रदेव और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की।
दूध और चावल की खीर का भोग लगाया
अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा के महत्व को मानते हुए, व्रती महिलाओं ने शाम को चंद्रमा की पूजा की। ऐसी मान्यता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होता है और उसकी किरणों से अमृत बरसता है। इसी मान्यता के चलते, महिलाओं ने दूध और चावल की खीर का भोग लगाया, जिसे रात भर खुले आसमान के नीचे रखा गया।
पूजा-पाठ का क्रम जारी
चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाओं ने अपना उपवास खोला। माना जाता है कि इसी दिन माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ था और इस रात वह धरती पर भ्रमण करने आती हैं, इसलिए इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। एक ओर जहां घरों में पूजा-पाठ का क्रम जारी रहा, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं ने रामगंगा नदी पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई।
मेले में काफी भीड़-भाड़ देखने को मिली
सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पूजा-अर्चना की और प्रसाद चढ़ाया। भक्तों ने मंगल कामना के लिए मन्नतें मांगी। रामगंगा तट पर इस अवसर पर एक छोटा-सा मेला भी लगा रहा, जहां बच्चों के लिए खेल-खिलौने, चाट-पकोड़ी और प्रसाद आदि की दुकानें सजी थीं। मेले में काफी भीड़-भाड़ देखने को मिली, जिससे त्योहार का माहौल और भी जीवंत हो उठा।