OBC Reservation Implemented: देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपनी आंतरिक भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने का निर्णय लिया है। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट में SC और ST के साथ-साथ OBC, दिव्यांग, पूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस कदम को न्यायपालिका में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की पहल
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने संविधान के अनुच्छेद 146(2) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट स्टाफ सेवा नियम, 1961 में संशोधन किया है। 3 जुलाई 2025 को जारी गजट नोटिफिकेशन में बताया गया कि Rule 4A को संशोधित कर सीधी भर्तियों में अब केंद्र सरकार के आरक्षण से जुड़े सभी नियम और अधिसूचनाएं लागू की जाएंगी। इसका मतलब यह है कि सुप्रीम कोर्ट अब अपने स्टाफ की सीधी भर्तियों में भी उसी प्रकार से आरक्षण देगा, जैसे केंद्रीय सरकार अपने विभागों में देती है। हालांकि, किसी संशोधन या अपवाद की शक्ति अब भी मुख्य न्यायाधीश के विवेकाधिकार में रहेगी।
क्या था अब तक का नियम?
अब तक सुप्रीम कोर्ट की भर्तियों में केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को ही आरक्षण का प्रावधान था। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को इसमें शामिल नहीं किया गया था।
आरक्षण व्यवस्था का संवैधानिक आधार
1995 में सुप्रीम कोर्ट के ही एक ऐतिहासिक फैसले RK Sabharwal बनाम पंजाब राज्य के तहत यह स्पष्ट किया गया था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण रिक्तियों के आधार पर नहीं, बल्कि स्वीकृत पदों के आधार पर दिया जाएगा। इसी सिद्धांत के तहत अब OBC को शामिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रोस्टर सिस्टम में संशोधन का मार्ग प्रशस्त किया है।
व्यापक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला केवल सुप्रीम कोर्ट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हाईकोर्ट्स और अन्य न्यायिक संस्थाओं में भी सामाजिक प्रतिनिधित्व के सवाल को मजबूती देगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देशभर के न्यायिक और प्रशासनिक संस्थानों को एक सकारात्मक संकेत गया है कि समावेशिता और सामाजिक न्याय अब न्यायपालिका के भीतर भी प्राथमिकता बनती जा रही है।