Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर और पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा (उर्फ़ सुलैमान शाह मूसा फौजी) को लिडवास के जंगलों में एक सटीक और सुनियोजित एनकाउंटर में मार गिराया गया।
इस ऑपरेशन का नाम “ऑपरेशन महादेव” रखा गया, जिसने न केवल हाशिम का सफाया किया बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक बढ़त को भी मजबूत किया।
कौन था हाशिम मूसा?
हाशिम मूसा पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व पैरा-कमांडो था। 2022 में वह सीमा पार कर भारत में घुस आया और लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। जल्द ही वह संगठन का एक प्रमुख चेहरा बन गया।
हमलों का मास्टरमाइंड: पहलगाम और सोनमर्ग के घातक हमलों की योजना इसी ने बनाई।
घुसपैठ और रेकी: पहलगाम हमले से पहले उसने सात दिन तक बाइसरन घाटी में रेकी की।
इनाम: उस पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
पहलगाम और सोनमर्ग हमले: भारत के जख्म
पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025): पांच आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं। 26 लोग मारे गए, जिनमें हिंदू, एक ईसाई और एक स्थानीय मुस्लिम शामिल थे।
सोनमर्ग टनल हमला (2024): Z-मोर्ह टनल के पास हुए हमले में सात निर्दोषों की जान गई।
इन दोनों हमलों के पीछे हाशिम मूसा का हाथ साबित हुआ था।
ऑपरेशन महादेव: 96 दिन की सटीक रणनीति
हाशिम मूसा की तलाश के लिए सेना ने 96 दिनों तक लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाई।
तैयारी: स्वदेशी ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और ह्यूमिंट (मानव खुफिया) से हाशिम की गतिविधियों पर नजर रखी गई।
लोकेशन ट्रैकिंग : लिडवास और दाचीगाम के जंगलों में उसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई।
एनकाउंटर:
28 जुलाई की सुबह सेना ने क्षेत्र को चारों तरफ से घेर लिया।
हाशिम और उसके दो साथियों ने गोलाबारी की, जिसका जवाब सेना ने सटीकता से दिया।
6 घंटे चली इस मुठभेड़ में तीनों आतंकी मारे गए।
क्या मिला?
AK-47 राइफल, ग्रेनेड, IED और सैटेलाइट फोन बरामद।
हाशिम के पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट, ISI से जुड़े सबूत भी मिले।
एनकाउंटर की तस्वीरें: सेना की वीरता का प्रमाण
मुठभेड़ के बाद सामने आई तस्वीरों में आतंकियों के शव, बरामद हथियार और ऑपरेशन में इस्तेमाल तकनीक स्पष्ट दिखाई दे रही है। ये तस्वीरें बताती हैं कि सेना ने किस तरह बिना किसी नागरिक नुकसान के ऑपरेशन को अंजाम दिया।
ऑपरेशन की खासियत
स्वदेशी तकनीक: भारतीय सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का बेहतरीन इस्तेमाल किया।
नागरिक सुरक्षा: इलाके के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के बाद ही ऑपरेशन शुरू किया गया।
उच्च स्तरीय समन्वय: सेना, खुफिया एजेंसियों और पुलिस के बीच शानदार तालमेल दिखा।
भारत की सुरक्षा के लिए राहत की खबर
हाशिम मूसा का मारा जाना न केवल पहलगाम और सोनमर्ग हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय है, बल्कि यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति का भी सबूत है।
भारतीय सेना की इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को कहीं छिपने की जगह नहीं मिलेगी।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-