India-China Relations: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन को स्पष्ट शब्दों में संदेश देते हुए कहा है कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में किसी तीसरे पक्ष, विशेष रूप से पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। यह बयान उन्होंने 14 जुलाई को कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत दिया जवाब
डॉ. जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब चीन पाकिस्तान को 81 प्रतिशत सैन्य उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना द्वारा बड़े पैमाने पर किया गया। भारत ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
भारतीय सेना की गश्त दोबारा हुई शुरू
जयशंकर ने साफ किया कि भारत और चीन के संबंधों की मजबूती की रीढ़ एक स्थिर सीमा है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2024 में हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में भारतीय सेना की गश्त दोबारा शुरू हो चुकी है, जिसे भारत एक सकारात्मक विकास के रूप में देखता है।
निर्यात प्रतिबंधों पर जताई चिंता
विदेश मंत्री ने चीन द्वारा क्रिटिकल मिनरल्स और उर्वरकों पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ये प्रतिबंध ऑटोमोबाइल उद्योग और कृषि क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने चीन से अनुरोध किया कि वह मैग्नेट्स के लिए आवश्यक खनिजों तथा पोटैशियम-नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के निर्यात पर पुनर्विचार करे।
आतंकवाद पर कड़ा रुख
SCO की बैठक में डॉ. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया और याद दिलाया कि इस संगठन की स्थापना का मूल उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से मुकाबला करना था।
उन्होंने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत की हालिया कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 16050 के तहत उचित ठहराया। यह प्रस्ताव 25 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पारित हुआ था, जिसमें आतंकी हमलों के प्रायोजकों, वित्तपोषकों और साजिशकर्ताओं को सख्त सजा देने की बात कही गई थी। उल्लेखनीय है कि इस प्रस्ताव को चीन, पाकिस्तान और रूस सहित सभी सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त था।
निष्कर्ष-
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे बात सीमाई सुरक्षा की हो, आर्थिक निर्भरता की या आतंकवाद से निपटने की। विदेश मंत्री जयशंकर का यह रुख बताता है कि भारत अब अपनी कूटनीतिक जमीन पर मजबूती से खड़ा है- और चीन समेत अन्य वैश्विक शक्तियों से भी यही उम्मीद करता है।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-