PM Modi visit to Trinidad-Tobago: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 3 और 4 जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे। यह यात्रा केवल एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भारतीय प्रवासी इतिहास के एक अहम अध्याय को पुनर्स्मरण का अवसर भी है। करीब 180 वर्ष पहले भारतीयों ने समुद्री मार्ग से इस कैरेबियाई द्वीप देश में पहला कदम रखा था। अब पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक विरासत से जुड़े देश की आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा पर पहुंचेगा।
1999 के बाद पहला उच्चस्तरीय दौरा
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा 1999 के बाद किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक महत्व की है, बल्कि भारत-त्रिनिदाद संबंधों को नए युग में प्रवेश कराने वाली मानी जा रही है।
विदेश मंत्रालय में सचिव नीना मल्होत्रा ने जानकारी दी कि यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्साड-बिसेसर से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। पीएम मोदी को वहां की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का भी विशेष अवसर प्राप्त होगा।
45% आबादी भारतीय मूल की
त्रिनिदाद और टोबैगो की जनसंख्या में भारतीय मूल के लोगों की हिस्सेदारी लगभग 45% है। प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर वहां रह रहे भारतीय समुदाय में उत्साह चरम पर है। प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद कार्यक्रम भी इस यात्रा का प्रमुख हिस्सा होगा, जो सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्तों को और मजबूत करेगा।
विस्तृत सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर की तैयारी
दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मास्युटिकल्स, अक्षय ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर बातचीत होगी। इसके अलावा, शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लेकर भी कई पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। इस यात्रा में एक विस्तृत सहयोग समझौते (Comprehensive Partnership Agreement) पर हस्ताक्षर की भी संभावना है।
प्रधानमंत्री कमला बिसेसर पीएम मोदी के सम्मान में औपचारिक रात्रिभोज का आयोजन करेंगी, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व, मंत्री और प्रमुख कारोबारी प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
इतिहास से भविष्य तक
1838 में जब पहले भारतीय मजदूरों ने गिरमिटिया व्यवस्था के तहत त्रिनिदाद की भूमि पर कदम रखा था, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन भारत का प्रधानमंत्री यहां अपने पूर्वजों की धरती पर नए युग की रणनीतिक साझेदारी की नींव रखने पहुंचेगा। पीएम मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक कूटनीतिक पहल नहीं, बल्कि 180 वर्षों की साझी विरासत को सम्मान देने का प्रतीक भी बन गई है।