Patna Politics: राजधानी पटना स्थित पारस अस्पताल में दिनदहाड़े हुई एक हत्या ने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि इससे सियासत भी गरमा गई है। घटना के बाद जब पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस समर्थक नेता पप्पू यादव अस्पताल पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिया।
बिहार में कोई सुरक्षित नहीं
इस दौरान उनकी ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से हल्की नोकझोंक भी हुई। पप्पू यादव ने मीडिया से बात करते हुए बिहार सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि “बिहार में कोई सुरक्षित नहीं है। प्रशासन पूरी तरह फेल है।
इधर, राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस हत्याकांड को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “अपराधियों ने आईसीयू में घुसकर मरीज को गोली मारी। बिहार में कोई कहीं भी सुरक्षित नहीं। क्या 2005 से पहले की स्थिति लौट आई है?
अस्पताल में घुसे 5 अज्ञात अपराधी
इस हत्या की पुष्टि पुलिस ने करते हुए बताया कि मारे गए व्यक्ति की पहचान चंदन मिश्रा के रूप में हुई है, जो बक्सर के सोनबरसा गांव का रहने वाला था और पैरोल पर बाहर आकर इलाज के लिए अस्पताल आया था। अस्पताल में घुसे 5 अज्ञात अपराधियों ने उसे गोली मार दी और मौके से फरार हो गए।
इस घटना को लेकर कांग्रेस ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “पटना के अस्पताल में सरेआम गोलीबारी, अपराध इतना स्वस्थ हो चुका है कि अब अस्पताल तक पहुंच गया है। कानून व्यवस्था सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित है।”
दूसरी ओर, गठबंधन के भीतर संतुलन साधने की कोशिश करती टीडीपी
इस बीच बिहार में चुनाव आयोग की ओर से चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की प्रतिक्रिया ने भी सियासी हलचल पैदा की। हालांकि, जल्द ही पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी चिंताएं बिहार नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश तक सीमित थीं।
TDP सांसद लावू श्री कृष्ण देवरायुलु ने कहा, “हमने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट सुधार के लिए जो सुझाव दिए हैं, वे आंध्र प्रदेश से जुड़े हैं, बिहार से नहीं।
वोटर पर न डाला जाए बोझ
TDP ने अपने चार पेज के पत्र में चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि SIR प्रक्रिया को नागरिकता जांच से अलग रखा जाए, यह चुनाव से छह महीने पहले पूरी हो, और वोटर पर किसी प्रकार का बोझ न डाला जाए। पार्टी ने प्रवासी मजदूरों, डुप्लीकेट नाम हटाने और तकनीक के उपयोग जैसे सुधारों की बात की।
पार्टी की प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनागरी ने कहा कि हमारी चिंताएं सिर्फ वोटर सुविधा को लेकर थीं, और गठबंधन धर्म का पालन करते हुए हमने किसी राज्य विशेष को निशाना नहीं बनाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले TDP का यह स्पष्ट रुख एनडीए में संभावित मतभेदों को समय रहते शांत करने की रणनीति है।
निष्कर्ष
एक ओर जहां पटना की हत्याकांड ने बिहार की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है, वहीं दूसरी ओर TDP का गठबंधन-संतुलन वाला बयान साफ करता है कि एनडीए में फिलहाल कोई दरार नहीं दिख रही। आगामी चुनावों से पहले ऐसे घटनाक्रम राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधनों की मजबूती को लेकर कई संकेत दे रहे हैं।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-