• Home  
  • सुप्रीम कोर्ट ने थानों में CCTV कैमरों की कमी का लिया स्वत: संज्ञान
- देश

सुप्रीम कोर्ट ने थानों में CCTV कैमरों की कमी का लिया स्वत: संज्ञान

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे न होने और खराब पड़े रहने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान किया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह कदम मीडिया रिपोर्ट के आधार पर उठाया है, जिसमें बताया गया कि पिछले सात-आठ महीनों में […]

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे न होने और खराब पड़े रहने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान किया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह कदम मीडिया रिपोर्ट के आधार पर उठाया है, जिसमें बताया गया कि पिछले सात-आठ महीनों में करीब 11 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है।

सीसीटीवी को लेकर एससी ने 2020 में दिया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 में लपरमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह मामले में सुनवाई करते हुए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि हर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। कोर्ट ने कहा था कि इन कैमरों का उद्देश्य पुलिस हिरासत में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन

मीडिया रिपोर्ट में सामने आया कि कई पुलिस थानों कैमरे लगाए ही नहीं गए और जहां लगे हैं वहां भी बड़ी संख्या में कैमरे खराब पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि इसका सीधा असर हिरासत में लोगों की सुरक्षा और मानवाधिकारों पर पड़ रहा है।

कस्टोडियल डेथ पर एनएचआरसी का डेटा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल बड़ी संख्या में कस्टोडियल डेथ यानी पुलिस और न्यायिक हिरासत में मौतें दर्ज की जाती हैं। आयोग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, केवल साल 2022-23 में ही 2,300 से अधिक हिरासत में मौतें दर्ज की गईं। इनमें से लगभग 160 से ज्यादा मौतें पुलिस हिरासत में और बाकी न्यायिक हिरासत में हुईं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन मौतों के पीछे ज्यादातर मामलों में थानों में सीसीटीवी की कमी, हिरासत में पारदर्शिता की कमी और जांच में लापरवाही बड़ी वजह बनती है। सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार कह चुका है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने से हिरासत में होने वाले अत्याचार और मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है, लेकिन एनएचआरसी का डेटा यह दिखाता है कि हालात अब भी गंभीर हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उत्तम भारत में, हम सत्य की शक्ति, समुदाय के मूल्य और सूचित नागरिकों के महत्व में विश्वास करते हैं। 2011 में स्थापित, हमने अपने पाठकों को विश्वसनीय समाचार, व्यावहारिक विश्लेषण और महत्वपूर्ण कहानियाँ प्रदान करने पर गर्व किया है।

Email Us: uttambharat@gmail.com

Contact: +91.7678609906

Uttam Bharat @2025. All Rights Reserved.