नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को सोमवार, 21 जुलाई 2025 तक बरकरार रखा है। अदालत ने फिल्म निर्माता को फिलहाल कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में इस मामले पर पुनर्विचार की प्रक्रिया चल रही है, जिसे पूरा होने दिया जाना चाहिए।
गौरव भाटिया की दलीलें खारिज
फिल्म निर्माता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को “असंवैधानिक” करार दिया। उन्होंने कहा कि महज़ दो दिनों में मौलाना अरशद मदनी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगा दी गई, जबकि फिल्म को सेंसर बोर्ड की मंज़ूरी प्राप्त है।
भाटिया ने अदालत को बताया कि फिल्म पर लगी रोक से निर्माताओं को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों से असहमति जताई और मंत्रालय को सभी पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय लेने के लिए उचित समय देने की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल निर्णय से किया इनकार
गौरव भाटिया द्वारा यह अनुरोध भी किया गया कि मंत्रालय को बुधवार (16 जुलाई) को ही याचिका पर निर्णय देने का निर्देश दिया जाए, ताकि शुक्रवार को अगली सुनवाई हो सके। इस मांग को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे में जल्दबाज़ी नहीं की जा सकती और मंत्रालय को सभी तथ्यों पर विचार करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।
मौलाना अरशद मदनी ने जताया संतोष
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति की टिप्पणियाँ इस मामले की गंभीरता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा,”भले ही अदालत ने फिल्म नहीं देखी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट की कार्रवाई और फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने के निर्देशों से यह स्पष्ट है कि फिल्म की मौजूदा स्थिति में रिलीज़ देश की शांति और कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि अदालत की यह टिप्पणी- “फिल्म की रिलीज़ में देरी से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन अगर इससे देश का माहौल बिगड़ा, तो यह गंभीर नुकसान होगा” उनकी कानूनी लड़ाई को सही ठहराती है।
कपिल सिब्बल ने फिल्म की सामग्री पर जताई आपत्ति
मौलाना मदनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि उन्होंने फिल्म देखी है और उसकी विषयवस्तु से “भीतर से हिल गए”। उनका कहना था कि फिल्म में एक विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले दृश्य हैं और यदि कोई जज स्वयं फिल्म देखे, तो वह इसकी रिलीज़ की अनुमति नहीं देगा।
अन्य याचिकाएं और सुरक्षा निर्देश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माता और कन्हैयालाल के बेटे को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश भी दिए। साथ ही, कोर्ट ने उस याचिका पर भी संज्ञान लिया जो मोहम्मद जावेद, कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपी, द्वारा दाखिल की गई थी। याचिका में फिल्म की रिलीज़ पर रोक की मांग की गई है।
वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने अदालत को बताया कि फिल्म में न सिर्फ़ एक समुदाय को निशाना बनाया गया है, बल्कि न्यायपालिका के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म में ज्ञानवापी मसले और कन्हैयालाल हत्याकांड जैसे उन मामलों का भी उल्लेख है, जो अभी अदालत में विचाराधीन हैं और इससे निष्पक्ष ट्रायल प्रभावित हो सकता है।
यह मामला एक संवेदनशील सामाजिक और कानूनी पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। फिल्म की रिलीज़ पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार (21 जुलाई 2025) को किया जाएगा। तब तक इस पर रोक जारी रहेगी।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-