Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले देशभर में शुरू हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार में भाजपा की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर SIR को नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया से अलग रखने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि इससे मतदाताओं के बीच भ्रम और डर का माहौल पैदा हो रहा है।
TDP सांसद लावु श्रीकृष्ण देवरायलु द्वारा लिखे गए इस पत्र में चुनाव आयोग से स्पष्ट मांग की गई है कि SIR सिर्फ मतदाता सूची के सुधार और नए मतदाताओं के नाम जोड़ने तक ही सीमित रहे। पत्र में कहा गया है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की व्यापक जांच प्रक्रिया उचित नहीं है और इससे निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
सुधारों के लिए दिए कई सुझाव
टीडीपी ने मतदाता प्रक्रिया को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए कई अन्य सुझाव भी दिए हैं-
हर साल CAG की निगरानी में थर्ड पार्टी ऑडिट कराना चाहिए।
AI की मदद से मृतकों और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया अपनाई जाए।
बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन को बढ़ावा दिया जाए और स्याही आधारित पहचान को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाए।
बूथ लेवल एजेंट्स को रिवीजन प्रक्रिया में शामिल किया जाए और रियल टाइम वेरिफिकेशन का विकल्प उपलब्ध कराया जाए।
वोटर लिस्ट में जोड़-घटाव का जिलावार डेटा ECI पोर्टल पर नियमित रूप से प्रकाशित किया जाए।
बीएलओ और ईआरओ का नियमित रोटेशन हो ताकि स्थानीय प्रभाव से प्रक्रिया प्रभावित न हो।
टीडीपी ने कहा है कि आंध्र प्रदेश में 2029 से पहले कोई विधानसभा चुनाव नहीं होने हैं, इसलिए वहां पर SIR प्रक्रिया जल्द शुरू की जा सकती है। लेकिन बिहार जैसे चुनावी राज्य में इसकी टाइमिंग पर पुनर्विचार होना चाहिए।
निष्कर्ष
टीडीपी की इस पहल से साफ है कि एनडीए में भी मतदाता सूची सुधार को लेकर चिंता है, खासकर तब जब यह प्रक्रिया नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दों से जुड़ती दिखाई दे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इन सुझावों पर क्या रुख अपनाता है।
न्यूज़ एडिटर बी के झा की रिपोर्ट-